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नवंबर, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
मैने बापु को क्यो मारा ? अमर बलिदान नाथुराम गोडसे तुम चाहते तो लालकिल्ले पर भगवा फहरा सकते थे तुम चाहते तो रावलपिन्डी पर भी झंडा लहरा सकते थे तुम चाहते तो जिन्ना को चरणो मे झुकवा सकते थे तुम चाहते तो भगतसिंह की फांसी रुकवा सकते थे तुम चाहते तो गरम दलो के इतने दुखडे ना होते तुम चाहते भारत माँ के टुकडे टुकडे ना होते लेकिन हठ में हमलो से अनजान बन बैठे थे तुम जाने क्यो खुद ही खुद में भगवान बन बैठे थे तुम . . . सैतालिस मे शेर हमारे सिंहासन मिल जाता ओर कमल भारत पुरी कायनात मे खिल जाता . . . . . . . . . . . . मुझको मेरी रगो में बहते लंहू ने ललकारा था इसीलिए मैंने गाँधी को दिल्ली जाकर मारा था ............... ................. अखंड हिंन्दुराष्ट्र
इस्लाम की छवि पूरी दुनिया में बुरी क्यों है… शायद ज़ाकिर नाईक जैसों के कारण एक इस्लामिक विद्वान(?) माने जाते हैं ज़ाकिर नाईक, पूरे भारत भर में घूम-घूम कर विभिन्न मंचों से इस्लाम का प्रचार करते हैं। इनके लाखों फ़ॉलोअर हैं जो इनकी हर बात को मानते हैं, ऐसा कहा जाता है कि ज़ाकिर नाईक जो भी कहते हैं या जो उदाहरण देते हैं वह “कुर-आन” की रोशनी में ही देते हैं। अर्थात इस्लाम के बारे में या इस्लामी धारणाओं-परम्पराओं के बारे में ज़ाकिर नाईक से कोई भी सवाल किया जाये तो वह “कुर-आन” के सन्दर्भ में ही जवाब देंगे। कुछ मूर्ख लोग इन्हें “उदार इस्लामिक” व्यक्ति भी मानते हैं, इन्हें पूरे भारत में खुलेआम कुछ भी कहने का अधिकार प्राप्त है क्योंकि यह सेकुलर देश है, लेकिन नीचे दिये गये दो वीडियो देखिये जिसमें यह आदमी “धर्म परिवर्तन” और “अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकार” के सवाल पर इस्लाम की व्याख्या किस तरह कर रहा है… पहले वीडियो में उदारवादी(?) ज़ाकिर नाईक साहब फ़रमाते हैं कि यदि कोई व्यक्ति मुस्लिम से गैर-मुस्लिम बन जाता है तो उसकी सज़ा मौत है, यहाँ तक कि इस्लाम में आने के बाद वापस जाने की सजा भी म...