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मैने बापु को क्यो मारा ?
अमर बलिदान नाथुराम गोडसे
तुम चाहते तो लालकिल्ले पर
भगवा फहरा सकते थे
तुम चाहते तो रावलपिन्डी पर
भी झंडा लहरा सकते थे
तुम चाहते तो जिन्ना को चरणो मे
झुकवा सकते थे
तुम चाहते तो भगतसिंह
की फांसी रुकवा सकते थे
तुम चाहते तो गरम दलो के इतने दुखडे
ना होते
तुम चाहते भारत माँ के टुकडे टुकडे ना होते
लेकिन हठ में हमलो से अनजान बन बैठे थे
तुम
जाने क्यो खुद ही खुद में भगवान बन बैठे थे
तुम . . .
सैतालिस मे शेर हमारे सिंहासन मिल
जाता
ओर कमल भारत पुरी कायनात मे खिल
जाता . . . . . . . . . . . .
मुझको मेरी रगो में बहते
लंहू ने ललकारा था
इसीलिए मैंने
गाँधी को दिल्ली जाकर मारा था ...............
.................
अखंड हिंन्दुराष्ट्र

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