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मैने बापु को क्यो मारा ?
अमर बलिदान नाथुराम गोडसे
तुम चाहते तो लालकिल्ले पर
भगवा फहरा सकते थे
तुम चाहते तो रावलपिन्डी पर
भी झंडा लहरा सकते थे
तुम चाहते तो जिन्ना को चरणो मे
झुकवा सकते थे
तुम चाहते तो भगतसिंह
की फांसी रुकवा सकते थे
तुम चाहते तो गरम दलो के इतने दुखडे
ना होते
तुम चाहते भारत माँ के टुकडे टुकडे ना होते
लेकिन हठ में हमलो से अनजान बन बैठे थे
तुम
जाने क्यो खुद ही खुद में भगवान बन बैठे थे
तुम . . .
सैतालिस मे शेर हमारे सिंहासन मिल
जाता
ओर कमल भारत पुरी कायनात मे खिल
जाता . . . . . . . . . . . .
मुझको मेरी रगो में बहते
लंहू ने ललकारा था
इसीलिए मैंने
गाँधी को दिल्ली जाकर मारा था ...............
.................
अखंड हिंन्दुराष्ट्र

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गौमाता की महिमा गौमाता सर्वदेवमयी है । अथर्ववेद में रुद्रों की माता, वसुओं की दुहिता, आदित्यों की स्वसा और अमृत की नाभि- संज्ञा से विभूषित  किया गया है ।  गौ सेवा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों तत्वों की प्राप्ति सम्भव बताई गई है ।  भारतीय शास्त्रों के अनुसार गौ में तैतीस  कोटि देवताओं का वास है । उसकी पीठ में ब्रह्मा, गले में विष्णु और मुख में रुद्र  आदि देवताओं का निवास है । इस प्रकार सम्पूर्ण देवी-देवताओं की  आराधना केवल गौ माता की सेवा से ही हो जाती है ।   गौ सेवा भगवत् प्राप्ति के अन्य साधनों में से एक है । जहां भगवान मनुष्यों के इष्टदेव है,  वही गौ  को भगवान के इष्ट   देवी माना है । अत: गौ सेवा से लौकिक लाभ तो मिलतें ही हैं पारलौकिक लाभ की प्राप्ति भी हो जाती है । शास्त्रों में उल्लेख है कि धर्म, अर्थ ,काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की सिद्धि गौ से ही सम्भव है ।  गौ  सेवा से मनुष्य को  धन, संतान और दीर्घायु प्राप्त होती हैं ।   गाय जब संतुष्ट होती है  तो वह...
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