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मैने बापु को क्यो मारा ? अमर बलिदान नाथुराम गोडसे तुम चाहते तो लालकिल्ले पर भगवा फहरा सकते थे तुम चाहते तो रावलपिन्डी पर भी झंडा लहरा सकते थे तुम चाहते तो जिन्ना को चरणो मे झुकवा सकते थे तुम चाहते तो भगतसिंह की फांसी रुकवा सकते थे तुम चाहते तो गरम दलो के इतने दुखडे ना होते तुम चाहते भारत माँ के टुकडे टुकडे ना होते लेकिन हठ में हमलो से अनजान बन बैठे थे तुम जाने क्यो खुद ही खुद में भगवान बन बैठे थे तुम . . . सैतालिस मे शेर हमारे सिंहासन मिल जाता ओर कमल भारत पुरी कायनात मे खिल जाता . . . . . . . . . . . . मुझको मेरी रगो में बहते लंहू ने ललकारा था इसीलिए मैंने गाँधी को दिल्ली जाकर मारा था ............... ................. अखंड हिंन्दुराष्ट्र
इस्लाम की छवि पूरी दुनिया में बुरी क्यों है… शायद ज़ाकिर नाईक जैसों के कारण एक इस्लामिक विद्वान(?) माने जाते हैं ज़ाकिर नाईक, पूरे भारत भर में घूम-घूम कर विभिन्न मंचों से इस्लाम का प्रचार करते हैं। इनके लाखों फ़ॉलोअर हैं जो इनकी हर बात को मानते हैं, ऐसा कहा जाता है कि ज़ाकिर नाईक जो भी कहते हैं या जो उदाहरण देते हैं वह “कुर-आन” की रोशनी में ही देते हैं। अर्थात इस्लाम के बारे में या इस्लामी धारणाओं-परम्पराओं के बारे में ज़ाकिर नाईक से कोई भी सवाल किया जाये तो वह “कुर-आन” के सन्दर्भ में ही जवाब देंगे। कुछ मूर्ख लोग इन्हें “उदार इस्लामिक” व्यक्ति भी मानते हैं, इन्हें पूरे भारत में खुलेआम कुछ भी कहने का अधिकार प्राप्त है क्योंकि यह सेकुलर देश है, लेकिन नीचे दिये गये दो वीडियो देखिये जिसमें यह आदमी “धर्म परिवर्तन” और “अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकार” के सवाल पर इस्लाम की व्याख्या किस तरह कर रहा है… पहले वीडियो में उदारवादी(?) ज़ाकिर नाईक साहब फ़रमाते हैं कि यदि कोई व्यक्ति मुस्लिम से गैर-मुस्लिम बन जाता है तो उसकी सज़ा मौत है, यहाँ तक कि इस्लाम में आने के बाद वापस जाने की सजा भी म...
गौमाता की महिमा गौमाता सर्वदेवमयी है । अथर्ववेद में रुद्रों की माता, वसुओं की दुहिता, आदित्यों की स्वसा और अमृत की नाभि- संज्ञा से विभूषित  किया गया है ।  गौ सेवा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों तत्वों की प्राप्ति सम्भव बताई गई है ।  भारतीय शास्त्रों के अनुसार गौ में तैतीस  कोटि देवताओं का वास है । उसकी पीठ में ब्रह्मा, गले में विष्णु और मुख में रुद्र  आदि देवताओं का निवास है । इस प्रकार सम्पूर्ण देवी-देवताओं की  आराधना केवल गौ माता की सेवा से ही हो जाती है ।   गौ सेवा भगवत् प्राप्ति के अन्य साधनों में से एक है । जहां भगवान मनुष्यों के इष्टदेव है,  वही गौ  को भगवान के इष्ट   देवी माना है । अत: गौ सेवा से लौकिक लाभ तो मिलतें ही हैं पारलौकिक लाभ की प्राप्ति भी हो जाती है । शास्त्रों में उल्लेख है कि धर्म, अर्थ ,काम और मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों की सिद्धि गौ से ही सम्भव है ।  गौ  सेवा से मनुष्य को  धन, संतान और दीर्घायु प्राप्त होती हैं ।   गाय जब संतुष्ट होती है  तो वह...
गौमाता में हैं समस्त तीर्थ   गौमाता का सर्वोपरि महत्व                      गाय, गोपाल, गीता, गायत्री तथा गंगा धर्मप्राण भारत के प्राण हैं, आधा हैं। इनमें मैं गौमाता को सर्वोपरि महत्व है। पूजनीय गौमाता  हमारी  ऐसी माँ है जिसकी बराबरी न कोई देवी-देवता कर सकता है और न कोई तीर्थ। गौमाता के दर्शन मात्र से ऐसा पुण्य प्राप्त होता है जो बड़े-बड़े यज्ञ दान आदि कर्मों से भी नहीं प्राप्त हो सकता।  जिस गौमाता को स्वयं भगवान कृष्ण नंगे पाँव जंगल-जंगल चराते फिरे हों और जिन्होंने अपना नाम ही गोपाल रख लिया हो, उसकी रक्षा के लिए उन्होंने गोकुल में अवतार लिया। शास्त्रों में कहा है सब योनियों में मनुष्य योनी श्रेष्ठ है। यह इसलिए कहा है कि वह गौमाता की निर्मल छाया में अपने जीवन को धन्य कर सकते हैं। गौमाता के रोम-रोम में देवी-देवताओं का एवं समस्त तीर्थों का वास है।  गोमाता को एक ग्रास खिला दीजिए तो वह सभी देवी-देवताओं को पहुँच जाएगा। इसीलिए धर्मग्रंथ बताते हैं समस्त देवी-देवताओं एवं पितरों को एक साथ प्रसन्न क...
गौ माता का इतिहास लगभग 5100 वर्ष पूर्व महाराजाधिराज श्रीकृष्णचन्द्रजी ने वैर भाव से भजने वाले जरासन्ध की कामना पूरी करने के उद्देश्य से मथुरा का त्याग किया था। अपने सहचर व परिकर सभी राजपुरूषों का निवास राजधानी में ही रखा गया था। परन्तु भगवान श्रीकृष्ण की प्राण स्वरूपा गायें व गोपालकों के लिए तो समुद्र के मध्य कोई स्थान नहीं था। ऐसी स्थिति में गायें तथा गोपालकों से भगवान दूर हो गये। अपने को निराश्रित मानकर भगवान श्रीकृष्ण जिस दिशा से पधारे थे उसी दिशा में गायें तथा गोपालक भी बड़ी दयनीय तथा दुःखी अवस्था में चल पड़े। कई दिन निराश्रित तथा वियोग की पीड़ा सहने के बाद भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन गायों तथा गोपालकों के लिए एक महान केर तथा जाल के जंगलों में सामने आते हुए हुआ। भगवान श्रीकृश्ण के दर्शन कर गाय व गोपालक इतने आनन्द विभोर हो गए कि उनकों रात दिन का भी ध्यान नहीं रहा। इसी प्रकार तीन दिन बीत गये, तब उद्धव जी ने उनको याद दिलाया कि गोवंश तथा गोपालकों की देख-रेख तथा सेवा कार्य अनिरूद्ध को ही सौंपा जावे। आपके अन्य धर्म कार्य अधूरे पड़े है, उनको गति प्रदान करने के लिए कृपया आप इस भावा...
  ॐ गौ माताय नमो नमः                                                 गऊमाता के शरीर में निवास करते हैं ३३ करोड़ देवता    गाय के शरीर में ३३ करोड़ देवता वास करते हैं। जिस घर में गऊ माता का निवास होता है उस घर से व्याधियां कोसों दूर रहती हैं। श्री भाटी ने कहा कि गाय हमारी मां है, उससे प्राप्त दूध, घी, मक्खन से शरीर पुष्ट बनता है और गाय के बछड़े खेती के काम आते हैं। उन्होंने कहा कि गाय का गोबर और यहां तक की उसका मूत्र भी विभिन्न दवाइयां बनाने के काम आता है। उन्होंने माना कि आज खेती भी हाईटेक हो गई है, लेकिन फिर भी गाय के बछड़ों का महत्व कम नहीं हुआ है। श्री भाटी गोपाष्टमी के मौके पर गऊ पूजन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से अपने घर में गाय पालने का आग्रह किया जिससे शुद्ध दूध भी बच्चों को मिल सके। श्री भाटी ने कहा कि गाय ही ऐसा धन है जो अन्य पशुओं में सर्वश्रेष्ठ और बुद्धिमान माना जाती है। गाय के मूत...